Pratidin Ek Kavita

जो हुआ वो हुआ किसलिए | निदा फ़ाज़ली

जो हुआ वो हुआ किसलिए
हो गया तो गिला किसलिए

काम तो हैं ज़मीं पर बहुत
आसमाँ पर ख़ुदा किसलिए

एक ही थी सुकूँ की जगह
घर में ये आइना किसलिए

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।