Pratidin Ek Kavita

लिखने का अर्थ | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी 

तुम किसे तलाश रहे हो
इस ढिबरी की रौशनी में, लिखता था प्रेमचंद
इस बेंच पर जाड़े की रातों में, नंगे सोता था निराला
और ये है असंख्य शैया वाला अस्पताल
इसके बेड नंबर 101 पर, मरा था मुक्तिबोध
102 पर राजकमल, 103 पर धूमिल
बेड नंबर 104, 105, 106
तुम कौनसे बेड पर मरना पसंद करोगे
ज़िन्दा रहना और मरते जाना, एक ही बात है
कविता की दुनिया में

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।