Pratidin Ek Kavita

अंगारे को तुमने छुआ - कन्हैयालाल नंदन

अंगारे को तुमने छुआ
और हाथ में फफोला नहीं हुआ
इतनी-सी बात पर
अंगारे पर तोहमत मत लगाओ
ज़रा तह तक जाओ
आग भी कभी-कभी
आपद्धर्म निभाती है
और जलने वाले की क्षमता देखकर जलाती है

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।