Pratidin Ek Kavita

प्रमाणपत्र - अर्चना वर्मा  

लक्षणों की किताब से उसने
चुन लिया एक रोग 
और उसे जीवन का भोग 
बना लिया
उसके पास भी था आखिरकार 
दिखाने के लिए एक घाव 
वह उसे चाव से सहलाते हुए 
पालने लगा

शामों का अकेलापन 
अब काटने नहीं दौड़ता
बातचीत के लिए विषयों की 
कमी नहीं 
चिकित्सा की नवीनतम शोध से 
मृत्यु दर के आँकड़े तक 
बिकाऊ हैं उसकी दुकान में

वे अब आते हैं अक्सर 
हाथों में फूल, चेहरों पर मुस्कान 
घण्टों बिता जाते हैं
कारोबार चल निकला है
फूलों के बदले में उनको वह 
उनकी दया माया ममता वगैरह का प्रमाणपत्र 
देता है साथ ही आश्वासन 
सहने का धीरज, बहादुरी का खिताब 
वे दे जाते हैं सर माथे पर 
लेता है

हालाँकि वह न लड़ रहा है 
न सह रहा है 
सिर्फ उनकी दया माया ममता वगैरह 
के ज्वार में बह रहा है

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।