Pratidin Ek Kavita

आत्महत्या | शाश्वत उपाध्याय

सात आसमानों के पार आठवें आसमान पर 
जहाँ आकर चाँद रुक जाता है 
सूरज की रौशनी पर टूटे सपनों के किरचें चमकते हैं 
दिन और रात की परिभाषायें रद्द हो जाती हैं
कि आत्महत्या
ऊपर उठती दुनिया की सबसे आखिरी मंज़िल है 
प्यार के भी बाद किया जाने वाला सबसे तिलिस्मी काम। 
कोई है
जिसके पास काफी कुछ है 
सुबह है उम्मीद से जगमगाई हुई 
शाम है चाँदनी की परत लिए हुए 
वह खुद है मैं से हम होकर नूर बरसाता ख़ल्क़ पर 
और फिर,
जब उसकी उम्मीद से जगर मगर सुबह को खींच कर 
उसके शाम के चाँदनी के परत को उतार कर 
उसके मैं से हम हुये अस्तित्व को निधार कर 
कोई और
अपनी सुबह शाम और खुद को रचता है 
तो जानिए
प्यार के भी बाद किया जाने वाला सबसे तिलिस्मी काम है
आत्महत्या
मेरे दोस्त बेशक आपने प्यार किया होगा
और प्यार के गहनतम क्षण के बाद आप मृतप्राय हुए होंगे
लगा होगा 
यही तो जीवन है, 
कि जीवन और मृत्यु के इतने करीब जाकर भी आप मरे नही 
क्योंकि मरना सबके बस की बात नही 
यह गले में सुई चुभा कर थूक के साथ 
क्रोध घोंटने की तमीज़ है 
यह प्यार से भी आगे की चीज़ है
मुझे कुछ आत्महंताओ का पता चाहिए 
मैं उनसे मिलना चाहता हूँ 
शायद उन्हें जोड़कर कोई कविता बनाऊँ 
या फिर 
आत्महत्या की भूमिका 
नहीं-नहीं 
मैं उनके मरने के ठीक पहले की बात जानना चाहता हूँ 
यह भी जानना है कि इरादों की यह पेंग 
कहाँ से भरी थी तुमने
क्या किसी बदबूदार सफेदपोश की कार का धुंआँ 
तुम्हारे सपनों पर पेशाब कर गया था 
और तुम कुछ नही कर सकते थे
क्या तुम्हें ऐसा लग रहा था कि 
गाँव के खेतों में खुल रही फैक्टरी का काला पानी 
तुम्हारे बेटे की आँतें निचोड़ लेगा 
और तुम कुछ नहीं कर सकते
या ऐसा की तुम्हारी बन्द हुई फेलोशिप 
किसी सूट में सोने के तारों से नाम लिखवाने की बजबजाती सोच है 
और तुम कुछ नहीं कर सकते?
मैं कुछ आत्महंताओ से मिलना चाहता हूँ 
आप मेरे भीतर का शोर दबा दें 
आप मेरी सारी कविताएँ फूँक दें 
या मुझसे स्तुति गान ही लिखवा लें 
मगर मुझे उन आत्महंताओ का पता दे दें 
जिनके पास प्यार करने का भी विकल्प था और उन्होंने नहीं चुना
वह तो चढ़ गये उस आखिरी मंज़िल 
जहाँ चाँद रुक जाता है, 
सूरज की रौशनी पर टूटे सपनों के किरचें चमकते हैं 
दिन और रात की परिभाषाएँ रद्द हो जाती हैं 
और रची जाती है 
प्यार के भी बाद के तिलिस्म की भूमिका 
सात आसमानों के पार आठवें आसमान पर

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।