Pratidin Ek Kavita

जुगनू | गीत चतुर्वेदी

साल में एक रात ऐसी आती है 
जब एक कविता किताब के पन्नों से निकलती है 
और जुगनू बनकर जंगल चली जाती है 
जब सूरज को एक लंबा ग्रहण लगेगा 
चाँद रूठकर कहीं चला जाएगा 
जंगल से लौटकर आएँगे ये सारे जुगनू 
और अँधेरे से डरने वालों को रोशनी देंगे 

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।