Pratidin Ek Kavita

 फूलन के लिए एक शोकगीत - मृणाल पाण्डे

सिरहाने आहिस्ता बोलेंगे लोग, तेरे नहीं मीर के
क्योंकि फूलन, बिना रोए-धोए तू बस टुक से सो गई
तेरे सिरहाने पैताने बस अब एक शोर है
नेता, अभिनेता, अंग्रेज़ी में गोद लेकर तुझे फ़ोटोजेनिक बनाने वाले,
सबकी वन्स मोर, वन्स मोर है
सिरहाने आहिस्ता बोलेंगे लोग, तेरे नहीं मीर के

बीहड़ों के सतर्क साए सरका किए थे लगातार तेरी निगाह में
घायल शेरनी सी जब तू चहलकदमी किया करे थी
कभी अपने को बीस गुना, कभी सौ गुना गिनती हुई
ख़बरें तेरी बहुत करके अफ़वाह हुआ करती थीं
कोई वीरानी से वीरानी थी, जिसे तू जिया करती थी
अब तो बस हवाईअड्डे पर जो छूट गया ज़माना भर है
बाद तेरे बचे रहने का बहाना करे सो शबाना भर है
मोमिन को कितनी फ़िक्र रहती थी तेरी तूने नहीं जाना
कहता था कहां जायेगी शबाना कुछ ठिकाना कर ले
सिरहाने आहिस्ता बोलेंगे लोग, तेरे नहीं मीर के, ऐ फूलन
तू तो ना रोई, ना धोई, बस टुक से जैसी थी, वैसी ही सो गई

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।