अरुण कमल अपनी कविता अमरफल में एक खास तरह के फल की तलाश में हैं। जो ना सिर्फ उनके बचपन की स्मृतियों से जुड़ा है, बल्कि जो अपनी ही परिपक्वता के उल्लास से फट पड़ा है। एक ऐसा फल जो प्रकृति की प्रचुरता और परिपूर्णता का प्रतीक बनकर सामने आता है।
In his poem Amarphal, Arun Kamal is in the search of a special kind of fruit. One that is not only tied to the memories of his childhood but also one that is bursting with the joy of its own ripeness. A fruit that becomes a metaphor for the wholeness and abundance of nature.
कविता / Poem – अमरफल | Amarphal
कवि / Poet – अरुण कमल | Arun Kamal
पुस्तक / Book - पचास कविताएँ - नई सदी के लिए चयन (Pg. 17)
संस्करण / Publisher - वाणी प्रकाशन (2019)
पूरी कविता यहाँ पढ़ें / Read the full poem here - https://www.hindwi.org/kavita/amarphal-arun-kamal-kavita
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यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दोस्ती कर सकें।
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