Pratidin Ek Kavita

कुछ लोगों के नामो का उल्लेख किया गया था जिनके ओहदे थे
बाकी सब इत्यादि थे
इत्यादि तादात में हमेशा ही ज्यादा होते थे
इत्यादि भाव ताव कर के सब्जी खरीदते थे और खाना वाना खा कर
खास लोगों के भाषण सुनने जाते थे
इत्यादि हर गोष्ठियों में उपस्थिति बढ़ाते थे
इत्यादि जुलूस में जाते थे तख्तियां उठाते थे नारे लगाते थे
इत्यादि लम्बी लाइनों में लग कर मतदान करते थे
उन्हें लगातार ऐसा भ्रम दिया गया था कि वो ही
इस लोकतंत्र में सरकार बनाते थे
इत्यादि हमेशा ही आन्दोलनों में शामिल होते थे
इसलिए कभी कभी पुलिस की गोली से मार दिए जाते थे।
जब वे पुलिस की गोली से मार दिए जाते थे
तब उनके वो नाम भी हमें बतलाये जाते थे
जो स्कूल में भरती करवाते समय रखे गए थे
या जिससे उनमे से कुछ पगार पाते थे
कुछ तो ऐसी दुर्घटना में भी इत्यादि रह जाते थे।
इत्यादि यूँ तो हर जोखिम से डरते थे
लेकिन कभी - कभी जब वो डरना छोड़ देते थे
तो बाकी सब उनसे डरने लगते थे।
इत्यादि ही करने को वो सारे काम करते थे
जिनसे देश और दुनिया चलती थी
हालाँकि उन्हें ऐसा लगता था कि वो ये सारे काम
सिर्फ अपना परिवार चलाने को करते हैं
इत्यादि हर जगह शामिल थे पर उनके नाम कहीं भी
शामिल नहीं हो पाते थे।
इत्यादि बस कुछ सिरफिरे कवियों की कविता में
अक्सर दिख जाते थे।

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।