Pratidin Ek Kavita

यूँ सफ़र भर याद हैं - शिवराज सिंह बेचैन
 

यूँ सफ़र भर याद हैं गुज़रे मुक़ामातों के लोग 
मेरी मजबूती तो हैं कमज़ोर हालातों के लोग 

दोस्त-दुश्मन, ग़ैर-अपने पास से देखे सभी 
यूँ तो इन्सां ही हैं आख़िर सब धर्म-जातों के लोग 

मैं कई सदियों से यूँ ख़ामोश था, संतप्त था 
मेरी जानिब से बहुत बोलें हैं बेबातों के लोग 

बात मंज़िल की तो करने का कोई मतलब नहीं 
ये तजुर्बात-ए-सफ़र लें मुझसे जो चाहते हैं लोग 

ये मेरा बचपन करोड़ों बेसहारों का वजूद 
है उन्हीं के हाथ में जीवन जो दे पाते हैं लोग 

बच गईं साँसें तो ले आया मैं इस अंजाम तक 
कल मिलूँगा मुझसे मिल लेना बहुत चाहते हैं लोग

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।