इस बाल कविता में गुलज़ार साहब को अपने बाग की मिट्टी किसी जादूगर की तरह लगती है - जो रंग, रूप और स्वाद की अनेक तरकीबों से उन्हें अक्सर विस्मय में डाल देती है।
In this childrens' poem, Gulzar sees a magician in his garden soil - who, with his colorful and varied tricks frequently puts the poet in awe.
कविता / Poem – ज़मीं को जादू आता है! | Zameen Ko Jaadu Aata Hai!
कवि / Poet – गुलज़ार | Gulzar
पुस्तक / Book - Green Poems (Pg. 76)
संस्करण / Publisher - Penguin Books (2014)
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यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दोस्ती कर सकें।
एक हिन्दी कविता और कुछ विचार, हर दूसरे शनिवार...
Listening to birds, butterflies, clouds, rivers, mountains, trees, and jungles - through poetry that helps us connect back to nature, both outside and within.
A Hindi poem and some reflections, every alternate Saturday...