Pratidin Ek Kavita

नानी की कहानी में देवराज इन्द्र - अरुणाभ सौरभ 

कठोरतम तप से
किसी साधक को
मिलने लगेगी सिद्धि
तो आपका स्वर्ग सिंहासन
डोल जाएगा देवराज
बचपन में आपसे
नानी की कहानियों में
मिलता रहा हूँ
जवान हुआ तो समझा
कि सबसे सुंदरतम दुनिया की अप्सराएँ
सबसे मादक पेय
और अमरत्व
आपके अधीन
जहाँ प्रवेश अत्यंत कठिन है
मरणोपरांत
पर हरेक हंदय में
स्वर्ग की चाहना- कामना - इच्छा अपार
तिसपर एकक्षत्र राज प्रभो!
नानी को गए बरसों बीत गए
पता नहीं उस स्वर्ग में
बुढ़िया को जगह थोड़ी
मिली कि नहीं
जिसकी हर कहानी में
कमजोर, लाचार और मोहग्रस्त पाया आपको
कि जिसके पास
सबसे विशाल
सुंदरतम दुनिया
कठोरतम अस्त्र हो
वह महानतम कायर होता है
इस एकमात्र बड़ी सीख के लिए
आपको सदैव प्रणाम
इन्द्रदेव!

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

नानी की कहानी में देवराज इन्द्र - अरुणाभ सौरभ

कठोरतम तप से
किसी साधक को
मिलने लगेगी सिद्धि
तो आपका स्वर्ग सिंहासन
डोल जाएगा देवराज
बचपन में आपसे
नानी की कहानियों में
मिलता रहा हूँ
जवान हुआ तो समझा
कि सबसे सुंदरतम दुनिया की अप्सराएँ
सबसे मादक पेय
और अमरत्व
आपके अधीन
जहाँ प्रवेश अत्यंत कठिन है
मरणोपरांत
पर हरेक हंदय में
स्वर्ग की चाहना- कामना - इच्छा अपार
तिसपर एकक्षत्र राज प्रभो!
नानी को गए बरसों बीत गए
पता नहीं उस स्वर्ग में
बुढ़िया को जगह थोड़ी
मिली कि नहीं
जिसकी हर कहानी में
कमजोर, लाचार और मोहग्रस्त पाया आपको
कि जिसके पास
सबसे विशाल
सुंदरतम दुनिया
कठोरतम अस्त्र हो
वह महानतम कायर होता है
इस एकमात्र बड़ी सीख के लिए
आपको सदैव प्रणाम
इन्द्रदेव!