Pratidin Ek Kavita

Pratidin Ek Kavita Trailer Bonus Episode 640 Season 1

Ek Aadmi Do Pahadon Ko Kuhniyon Se Thelta | Shamsher Bahadur Singh

Ek Aadmi Do Pahadon Ko Kuhniyon Se Thelta | Shamsher Bahadur SinghEk Aadmi Do Pahadon Ko Kuhniyon Se Thelta | Shamsher Bahadur Singh

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एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता | शमशेर बहादुर सिंह

एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता
पूरब से पच्छिम को एक क़दम से नापता
बढ़ रहा है

कितनी ऊँची घासें चाँद-तारों को छूने-छूने को हैं
जिनसे घुटनों को निकालता वह बढ़ रहा है

अपनी शाम को सुबह से मिलाता हुआ
फिर क्यों

दो बादलों के तार
उसे महज़ उलझा रहे हैं?

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।