Pratidin Ek Kavita

नए दिन के साथ | केदारनाथ सिंह 

नए दिन के साथ
एक पन्ना खुल गया कोरा
हमारे प्यार का
सुबह,
इस पर कहीं अपना नाम तो लिख दो
बहुत से मनहूस पन्नों में
इसे भी कहीं रख दूंगा।
और जब-जब
हवा आकर
उड़ा जाएगी अचानक बन्द पन्नों को
कहीं भीतर
मोरपंखी की तरह रक्खे हुए उस नाम को
हर बार पढ़ लूगा।

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

नए दिन के साथ | केदारनाथ सिंह

नए दिन के साथ
एक पन्ना खुल गया कोरा
हमारे प्यार का
सुबह,
इस पर कहीं अपना नाम तो लिख दो
बहुत से मनहूस पन्नों में
इसे भी कहीं रख दूंगा।
और जब-जब
हवा आकर
उड़ा जाएगी अचानक बन्द पन्नों को
कहीं भीतर
मोरपंखी की तरह रक्खे हुए उस नाम को
हर बार पढ़ लूगा।