Pratidin Ek Kavita

ख़ुशआमदीद | गगन गिल 

दोस्त के इंतज़ार में
उसने सारा शहर घूमा
शहर का सबसे सुंदर फूल देखा
शहर की सबसे शांत सड़क सोची
एक क़िताब को छुआ धीरे-धीरे
उसे देने के लिए
कोई भी चीज़ उसे
ख़ुशआमदीद कहने के लिए
काफ़ी न थी !

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

ख़ुशआमदीद | गगन गिल

दोस्त के इंतज़ार में

उसने सारा शहर घूमा
शहर का सबसे सुंदर फूल देखा
शहर की सबसे शांत सड़क सोची
एक क़िताब को छुआ धीरे-धीरे
उसे देने के लिए

कोई भी चीज़ उसे
ख़ुशआमदीद कहने के लिए
काफ़ी न थी !