Pratidin Ek Kavita

Pratidin Ek Kavita Trailer Bonus Episode 577 Season 1

Stree | Sushila Takbhore

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स्त्री | सुशीला टाकभौरे

एक स्त्री
जब भी कोई कोशिश करती है
लिखने की बोलने की समझने की
सदा भयभीत-सी रहती है
मानो पहरेदारी करता हुआ
कोई सिर पर सवार हो
पहरेदार
जैसे एक मज़दूर औरत के लिए
ठेेकेदार
या खरीदी संपत्ति के लिए
चौकीदार
वह सोचती है लिखते समय कलम को झुकाकर
बोलते समय बात को संभाल ले
और समझने के लिए
सबके दृष्टिकोण से देखे
क्योंकि वह एक स्त्री है!

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।