Pratidin Ek Kavita

आप की याद आती रही रात भर | मख़दूम मुहिउद्दीन

आप की याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर

रात भर दर्द की शम्अ जलती रही
ग़म की लौ थरथराती रही रात भर

बाँसुरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बन के आती रही रात भर

याद के चाँद दिल में उतरते रहे
चाँदनी जगमगाती रही रात भर

कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

आप की याद आती रही रात भर | मख़दूम मुहिउद्दीन

आप की याद आती रही रात भर
चश्म-ए-नम मुस्कुराती रही रात भर

रात भर दर्द की शम्अ जलती रही
ग़म की लौ थरथराती रही रात भर

बाँसुरी की सुरीली सुहानी सदा
याद बन बन के आती रही रात भर

याद के चाँद दिल में उतरते रहे
चाँदनी जगमगाती रही रात भर

कोई दीवाना गलियों में फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर