Pratidin Ek Kavita

अत्याचारी के प्रमाण | मंगलेश डबराल 

अत्याचारी के निर्दोष होने के कई प्रमाण हैं 
उसके नाखुन या दाँत लम्बे नहीं हैं
आँखें लाल नहीं रहती...
बल्कि वह मुस्कराता रहता है
अक्सर अपने घर आमंत्रित करता है
और हमारी ओर अपना कोमल हाथ बढ़ाता है
उसे घोर आश्चर्य है कि लोग उससे डरते हैं
अत्याचारी के घर पुरानी तलवारें और बन्दूकें.,
सिर्फ़ सजावट के लिए रखी हुई हैं
उसका तहख़ाना एक प्यारी-सी जगह है
जहाँ श्रेष्ठ कलाकृतियों के आसपास तैरते
उम्दा संगीत के बीच
जो सुरक्षा महसूस होती है वह बाहर कहीं नहीं है
अत्याचारी इन दिनों ख़ूब लोकप्रिय है
कई मरे हुए लोग भी उसके घर आते-जाते हैं।

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

अत्याचारी के प्रमाण | मंगलेश डबराल

अत्याचारी के निर्दोष होने के कई प्रमाण हैं
उसके नाखुन या दाँत लम्बे नहीं हैं
आँखें लाल नहीं रहती...
बल्कि वह मुस्कराता रहता है
अक्सर अपने घर आमंत्रित करता है
और हमारी ओर अपना कोमल हाथ बढ़ाता है
उसे घोर आश्चर्य है कि लोग उससे डरते हैं
अत्याचारी के घर पुरानी तलवारें और बन्दूकें.,
सिर्फ़ सजावट के लिए रखी हुई हैं
उसका तहख़ाना एक प्यारी-सी जगह है
जहाँ श्रेष्ठ कलाकृतियों के आसपास तैरते
उम्दा संगीत के बीच
जो सुरक्षा महसूस होती है वह बाहर कहीं नहीं है
अत्याचारी इन दिनों ख़ूब लोकप्रिय है
कई मरे हुए लोग भी उसके घर आते-जाते हैं।