Pratidin Ek Kavita

Pratidin Ek Kavita Trailer Bonus Episode 570 Season 1

Aatma | Anju Sharma

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आत्मा | अंजू शर्मा

मैं सिर्फ
एक देह नहीं हूँ,
देह के पिंजरे में कैद
एक मुक्ति की कामना में लीन
आत्मा हूँ,
नृत्यरत हूँ निरंतर,
बांधे हुए सलीके के घुँघरू,
लौटा सकती हूँ मैं अब देवदूत को भी
मेरे स्वर्ग की रचना
मैं खुद करुँगी,

मैं बेअसर हूँ
किसी भी परिवर्तन से,
उम्र के साथ कल
पिंजरा तब्दील हो जायेगा
झुर्रियों से भरे
एक जर्जर खंडहर में,
पर मैं उतार कर,
समय की केंचुली,
बन जाऊँगी
चिर-यौवना,

मैं बेअसर हूँ
उन बाजुओं में उभरी नसों
की आकर्षण से,
जो पिंजरे के मोह में बंधी
घेरती हैं उसे,

मैं अछूती हूँ,
श्वांसों के उस स्पंदन से
जो सम्मोहित कर मुझे
कैद करना चाहता है
अपने मोहपाश में,

मैंने बांध लिया है
चाँद और सूरज को
अपने बैंगनी स्कार्फ में,
जो अब नियत नहीं करेंगे
मेरी दिनचर्या,

और आसमान के सिरे खोल
दिए हैं मैंने,
अब मेरी उड़ान में कोई
सीमा की बाधा नहीं है,

विचरती हूँ मैं
निरंतर ब्रह्माण्ड में
ओढ़े हुए मुक्ति का लबादा,
क्योंकि नियमों और अपेक्षाओं
के आवरण टांग दिए हैं मैंने
कल्पवृक्ष पर.......

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।