Pratidin Ek Kavita
Trailer
Bonus
Episode 647
Season 1
Daud | Ramdarash Mishra
दौड़ | रामदरश मिश्र
वह आगे-आगे था
मैं उसके पीछे-पीछे
मेरे पीछे अनेक लोग थे
हाँ, यह दौड़-प्रतिस्पर्धा थी
लक्ष्य से कुछ ही दूर पहले
एकाएक उसकी चाल धीमी पड़ गयी और रुक गया
मैं आगे निकल गया
जीत के गर्वीले सुख के उन्माद से मैं झूम उठा
उसके हार-जन्य दुख की कल्पना से
मेरा सुख और भी उन्मत्त हो उठा
मूर्ख कहीं का मैं मन ही मन भुनभुनाया
उन्माद की हँसी हँसता हआ मैं लौटा तो देखा
वह किसी गिरे हुए आदमी को उठा रहा था
और उसका चेहरा नहा रहा था
सुख और शान्ति की अपूर्व दीप्ति से
धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि
वह लक्ष्य तो उसके चरणों में लोट रहा है।
जिसके लिए मैं बेतहाशा दौड़ता हुआ गया था
और वह मुझसे पहले ही दौड़ जीत चुका है।