Pratidin Ek Kavita

पानी एक रोशनी है। केदारनाथ सिंह

इन्तज़ार मत करो
जो कहना हो कह डालो
क्योंकि हो सकता है फिर कहने का
कोई अर्थ न रह जाए
सोचो
जहाँ खड़े हो, वहीं से सोचो
चाहे राख से ही शुरू करो
मगर सोचो
उस जगह की तलाश व्यर्थ है।
जहाँ पहुँचकर यह दुनिया
एक पोस्ते के फूल में बदल जाती है
नदी सो रही है
उसे सोने दो
उसके सोने से
दुनिया के होने का अन्दाज़ मिलता है।
पूछो
चाहे जितनी बार पूछना पड़े
चाहे पूछने में जितनी तकलीफ़ हो
मगर पूछो
पूछो कि गाड़ी अभी कितनी लेट है
अँधेरा बज रहा है।
अपनी कविता की किताब रख दो एक तरफ़
और सुनो-सुनो
अँधेरे में चल रहे हैं
लाखों-करोड़ों पैर
पानी एक रोशनी है
अँधेरे में यही एक बात है।
जो तुम पूरे विश्वास के साथ
दूसरे से कह सकते हो

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

पानी एक रोशनी है। केदारनाथ सिंह

इन्तज़ार मत करो
जो कहना हो कह डालो
क्योंकि हो सकता है फिर कहने का
कोई अर्थ न रह जाए
सोचो
जहाँ खड़े हो, वहीं से सोचो
चाहे राख से ही शुरू करो
मगर सोचो
उस जगह की तलाश व्यर्थ है।
जहाँ पहुँचकर यह दुनिया
एक पोस्ते के फूल में बदल जाती है
नदी सो रही है
उसे सोने दो
उसके सोने से
दुनिया के होने का अन्दाज़ मिलता है।
पूछो
चाहे जितनी बार पूछना पड़े
चाहे पूछने में जितनी तकलीफ़ हो
मगर पूछो
पूछो कि गाड़ी अभी कितनी लेट है
अँधेरा बज रहा है।
अपनी कविता की किताब रख दो एक तरफ़
और सुनो-सुनो
अँधेरे में चल रहे हैं
लाखों-करोड़ों पैर
पानी एक रोशनी है
अँधेरे में यही एक बात है।
जो तुम पूरे विश्वास के साथ
दूसरे से कह सकते हो