Pratidin Ek Kavita

Pratidin Ek Kavita Trailer Bonus Episode 598 Season 1

Bheegna | Prashant Purohit

Bheegna | Prashant PurohitBheegna | Prashant Purohit

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भीगना | प्रशांत पुरोहित 

जब सड़क इतनी भीगी है तो मिट्टी कितनी गीली होगी,
जब बाप की आँखें नम हैं, तो ममता कितनी सीली होगी। 

जेब-जेब ढूँढ़ रहा हूँ माचिस की ख़ाली डिब्बी लेकर,
किसी के पास तो एक अदद बिल्कुल सूखी तीली होगी। 

कोई चाहे ऊपर से बाँटे या फिर नीचे से शुरू करे, 
बीच वाला फ़क़त हूँ मैं, जेब मेरी ही ढीली होगी। 

ना रहने को ना कहने को, मैं कभी सड़क पर नहीं आता
मैं तनख़्वाह का बंधुआ, आज़ादी बड़ी रसीली होगी। 

मैं मान गया जो तूने बताया-इतिहास या फिर परिहास
बेटी ना मानेगी ध्यान रहे, वो बड़ी हठीली होगी। 

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।