Pratidin Ek Kavita

आख़िरी कविता | इमरोज़
अनुवाद : अमिया कुँवर

जन्म के साथ 
मेरी क़िस्मत नहीं लिखी गई 
जवानी में लिखी गई 
और वह भी कविता में... 
जो मैंने अब पढ़ी है 
पर तू क्यों 
मेरी क़िस्मत कविता को 
अपनी आख़िरी कविता कर रही हो... 
मेरे होते तेरी तो कभी भी 
कोई कविता आख़िरी कविता 
नहीं हो सकती... 


What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

आख़िरी कविता | इमरोज़
अनुवाद : अमिया कुँवर

जन्म के साथ
मेरी क़िस्मत नहीं लिखी गई
जवानी में लिखी गई
और वह भी कविता में...
जो मैंने अब पढ़ी है
पर तू क्यों
मेरी क़िस्मत कविता को
अपनी आख़िरी कविता कर रही हो...
मेरे होते तेरी तो कभी भी
कोई कविता आख़िरी कविता
नहीं हो सकती...