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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
बारिश चमत्कार की तरह होती है | शहंशाह आलम
बारिश चमत्कार की तरह होती है
उसने मुझे यह बात इस तरह बताई
जिस तरह कोई अपने भीतर के
किसी चमत्कार के बारे में बताता है
उसने बारिश को लेकर जो कुछ कहा सच कहा
मैंने भी देखा
बारिश को
प्रार्थना की मुद्रा में
पेड़ के पत्तों पर बरसते
पूरी तरह चमत्कारी।