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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
प्यार में चिड़िया | कुलदीप कुमार
एक चिड़िया
अपने नन्हे पंखों में
भरना चाहती है
आसमान
वह प्यार करती है
आसमान से नहीं
अपने पंखों से
एक दिन उसके पंख झड़ जायेंगे
और
वह प्यार करना भूल जायेगी
भूल जायेगी वह
अन्धड़ में घोंसले को बचाने के जतन
बच्चों को उड़ना सिखाने की कोशिशें
याद रहेगा सिर्फ़
पंखों के साथ झड़ा आसमान