Pratidin Ek Kavita

भाषा | स्नेहमयी चौधरी

यह नहीं कि 
उसे कोई शिकायत नहीं, 
लेकिन अब वह अपने पक्ष में 
कोई तर्क न देगी, 
न चाहेगी— 
लगाए गए आरोपों का 
कोई निराकरण। 
यह नहीं कि 
उसके पास कहने को 
कुछ नहीं, 
शायद यह कि 
बहुत कुछ है। 
अब कोई न पूछे 
उसके निजी दस्तावेज़, 
यही तो उसकी संपत्ति है। 
यद्यपि निष्क्रिय विद्रोह 
आज की भाषा नहीं : 
यह नहीं कि वह जानती नहीं। 
शायद यही उसके लिए 
सही भाषा की तलाश का 
एक तरीक़ा है। 

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

भाषा | स्नेहमयी चौधरी

यह नहीं कि
उसे कोई शिकायत नहीं,
लेकिन अब वह अपने पक्ष में
कोई तर्क न देगी,
न चाहेगी—
लगाए गए आरोपों का
कोई निराकरण।
यह नहीं कि
उसके पास कहने को
कुछ नहीं,
शायद यह कि
बहुत कुछ है।
अब कोई न पूछे
उसके निजी दस्तावेज़,
यही तो उसकी संपत्ति है।
यद्यपि निष्क्रिय विद्रोह
आज की भाषा नहीं :
यह नहीं कि वह जानती नहीं।
शायद यही उसके लिए
सही भाषा की तलाश का
एक तरीक़ा है।