Pratidin Ek Kavita

वह माँ है | दामोदर खड़से 

दुःख जोड़ता है 
माँ के अहसासों में... 
माँ की अँगुलियों में 
होती है दवाइयों की फैक्ट्री! 
माँ की आँखों में होती हैं 
अग्निशामक दल की दमकलें 
माँ के सान्निध्य में 
होती है झील 
हर प्यास के लिए। 
स्वर्ग की कल्पना है माँ, 
माँ स्वर्ग होती है... 
समय की बेवफाई 
दुनिया के खिंचाव 
आकाश की ढलान 
सपनों के खौफ 
यात्राओं की भूख 
और सूरज के होते हुए 
अँधेरे के डर को 
काटता है कोई– 
वह माँ है। 

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

वह माँ है | दामोदर खड़से

दुःख जोड़ता है
माँ के अहसासों में...
माँ की अँगुलियों में
होती है दवाइयों की फैक्ट्री!
माँ की आँखों में होती हैं
अग्निशामक दल की दमकलें
माँ के सान्निध्य में
होती है झील
हर प्यास के लिए।
स्वर्ग की कल्पना है माँ,
माँ स्वर्ग होती है...
समय की बेवफाई
दुनिया के खिंचाव
आकाश की ढलान
सपनों के खौफ
यात्राओं की भूख
और सूरज के होते हुए
अँधेरे के डर को
काटता है कोई–
वह माँ है।