Pratidin Ek Kavita

Pratidin Ek Kavita Trailer Bonus Episode 668 Season 1

Suryasth Ke Aasmaan | Alok Dhanwa

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सूर्यास्त के आसमान | आलोक धन्वा

उतने सूर्यास्त के उतने आसमान
उनके उतने रंग
लम्बी सडकों पर शाम
धीरे बहुत धीरे छा रही शाम
होटलों के आसपास
खिली हुई रौशनी
लोगों की भीड़
दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे
उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाज़ें

कभी लिखेंगें कवि इसी देश में
इन्हें भी घटनाओं की तरह!


What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।