Pratidin Ek Kavita

एक फ़ैंटसी | धर्मवीर भारती

साँझ के झुटपुटे में,

जब कि दूर आस्माँ पर एक धुआँ-सा छा रहा था,
तारे अकुला रहे थे, चाँद थर्रा रहा था

चोट इतनी गहरी थी,
कि बादलों के सीने से ख़ून उबला आ रहा था,

पास की पगडंडी से
एक राही कंधों पर

अपनी ही लाश लादे धीमे-धीमे जा रहा था
गीतों के कंकाल झूठे प्यार के मसान में,

धधकती चिताओं के पास बैठे गा रहे थे,
अपने सूखे हाथों से,

अपनी पसलियों को तोड़-तोड़
चूर-चूर कर चिताओं पर बिखरा रहे थे!

एक जलते मुर्दे ने
अपनी जलती उँगलियों से

ऊँची-नीची बालू पर इक खींच दी लकीर!
और हँस कर बोला :

“यह है प्यार की तस्वीर!

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

एक फ़ैंटसी | धर्मवीर भारती

साँझ के झुटपुटे में,

जब कि दूर आस्माँ पर एक धुआँ-सा छा रहा था,
तारे अकुला रहे थे, चाँद थर्रा रहा था

चोट इतनी गहरी थी,
कि बादलों के सीने से ख़ून उबला आ रहा था,

पास की पगडंडी से
एक राही कंधों पर

अपनी ही लाश लादे धीमे-धीमे जा रहा था
गीतों के कंकाल झूठे प्यार के मसान में,

धधकती चिताओं के पास बैठे गा रहे थे,
अपने सूखे हाथों से,

अपनी पसलियों को तोड़-तोड़
चूर-चूर कर चिताओं पर बिखरा रहे थे!

एक जलते मुर्दे ने
अपनी जलती उँगलियों से

ऊँची-नीची बालू पर इक खींच दी लकीर!
और हँस कर बोला :

“यह है प्यार की तस्वीर!