Pratidin Ek Kavita

लिखने से ही लिखी जाती है कविता | उदयन वाजपेयी

लिखने से ही लिखी जाती है कविता 
प्रेम भी करने की ही चीज़ है 
जैसे जंगल सुनने की 
किताब डूबने की 
मृत्यु इंतज़ार की 
जीवन, अपने को चारों ओर से 
समेट कर किसी ऐसे बिंदु पर 
ला देने की जहाँ नर्तकी की तरह 
अपने पाँव के अँगूठे पर कुछ देर 
खड़ा रह सके वियोग 


What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

लिखने से ही लिखी जाती है कविता | उदयन वाजपेयी

लिखने से ही लिखी जाती है कविता
प्रेम भी करने की ही चीज़ है
जैसे जंगल सुनने की
किताब डूबने की
मृत्यु इंतज़ार की
जीवन, अपने को चारों ओर से
समेट कर किसी ऐसे बिंदु पर
ला देने की जहाँ नर्तकी की तरह
अपने पाँव के अँगूठे पर कुछ देर
खड़ा रह सके वियोग