Pratidin Ek Kavita

खुल कर | नंदकिशोर आचार्य 

खुल कर हो रही बारिश
खुल कर नहाना चाहती लड़की
अपनी खुली छत पर।
किन्तु लोगों की खुली आँखें
उसको बन्द रखती हैं
खुल कर हो रही
बरसात में।

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

खुल कर | नंदकिशोर आचार्य

खुल कर हो रही बारिश
खुल कर नहाना चाहती लड़की
अपनी खुली छत पर।
किन्तु लोगों की खुली आँखें
उसको बन्द रखती हैं
खुल कर हो रही
बरसात में।