Pratidin Ek Kavita

केवल मैं नहीं हूँ | रामदरश मिश्र 

तुम्हारे लिए लाता रहा
रंग-बिरंगे उपहार
लैंडस्केप
रेडियो
टी.वी.
वीडियो-गेम्स
फ्रीज
तरह-तरह के फर्नीचर
और न जाने कितने-कितने उपकरण साज-सज्जा के 
जब देखा कि
मेरा कमरा एकदम भर गया है इनसे
तो मैं कितना ख़ुश हुआ था
ओ मेरे सुख!
अब सोचता हूँ-
सभी कुछ तो है इस कमरे में
केवल मैं नहीं हूँ।

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

केवल मैं नहीं हूँ | रामदरश मिश्र

तुम्हारे लिए लाता रहा
रंग-बिरंगे उपहार
लैंडस्केप
रेडियो
टी.वी.
वीडियो-गेम्स
फ्रीज
तरह-तरह के फर्नीचर
और न जाने कितने-कितने उपकरण साज-सज्जा के
जब देखा कि
मेरा कमरा एकदम भर गया है इनसे
तो मैं कितना ख़ुश हुआ था
ओ मेरे सुख!
अब सोचता हूँ-
सभी कुछ तो है इस कमरे में
केवल मैं नहीं हूँ।