Pratidin Ek Kavita

कविता के लिए | स्नेहमयी चौधरी

कविता लिखने के लिए जो परेशान करते थे 
उन सबको मैंने धीरे-धीरे अपने से काट दिया। 
जैसे : ज़रा सी बात पर 
बड़ी देर तक घुमड़ते रहना, 
अपने किए को हर बार ग़लत समझना, 
निरंतर अविश्वास की झिझक ओढ़े घूमना। 
अब सिर ऊँचा कर स्वस्थ हो रही हूँ, 
मकान बनाने में जुटे मज़दूरों को देख रही हूँ। 

What is Pratidin Ek Kavita?

कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।

कविता के लिए | स्नेहमयी चौधरी

कविता लिखने के लिए जो परेशान करते थे
उन सबको मैंने धीरे-धीरे अपने से काट दिया।
जैसे : ज़रा सी बात पर
बड़ी देर तक घुमड़ते रहना,
अपने किए को हर बार ग़लत समझना,
निरंतर अविश्वास की झिझक ओढ़े घूमना।
अब सिर ऊँचा कर स्वस्थ हो रही हूँ,
मकान बनाने में जुटे मज़दूरों को देख रही हूँ।