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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
मेरा मोबाइल नम्बर डिलीट कर दें प्लीज़ - उदय प्रकाश
सबसे पहले सिर्फ़ आवाज़ थी
कोई नाद था
और उसके सिवा कुछ भी नहीं
उसी आवाज़ से पैदा हुआ था ब्रह्माण्ड
आवाज़ जब गायब होती है
तो कायनात किसी सननाटे में डूब जाती है
जब आप फ़ोन करते हैं
क्या पता चलता नहीं आपको
कि सननाटे के महासागर में डूबे
किसी बहुत प्राचीन अभागे जहाज को
आप पुकार रहे हैं?
मेरा मोबाइल नम्बर डिलीट कर दें प्लीज़